भारत में दुबक कर बैठे पाकिस्तानी नागरिकों के निर्वासन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अब हर पाकिस्तानी पासपोर्ट धारक नागरिक को भारत छोड़ना होगा। बुधवार को देश के अलग-अलग भागों से पाक नागरिकों को लेकर पुलिस अटारी सीमा पर पहुंची। इनमें जम्मू-कश्मीर से ही 25 नागरिक शामिल थे। दरअसल, पहलगाम नरसंहार के बाद जहां पाकिस्तान में घबराहट बनी हुई है, वहीं भारत में आए पाकिस्तानी नागरिकों के मुल्क वापस जाने का क्रम जारी है।

2008 में भारत आया था ओसामा

अटारी सीमा के मार्ग से पाकिस्तान जाने वाले पाकिस्तानी नागरिक ओसामा ने दावा किया है कि वह 2008 में भारत आया था। पहलगाम घटना के बाद मुझे भी पाकिस्तान जाने को कहा गया है। मेरा आधार कार्ड, राशन कार्ड, मूल निवास प्रमाण पत्र भारत का है। मेरी शिक्षा भी यहीं हुई है। अब पाकिस्तान जाकर क्या करेंगे।

ओसामा ने कहा कि वह बीएड की पढ़ाई कर रहा है। इसके साथ ही नौकरी के लिए भी आवेदन किया है। मैं मूल रूप से भारतीय हूं, क्योंकि मेरे पास सभी दस्तावेज भारत के हैं। जो परिवार दशकों से यहां रह रहे हैं उन्हें तो पाकिस्तान न भेजा जाए।

65 वर्षीय महिला को भी जाना होगा पाकिस्तान

65 वर्षीय महिला अजरबी भट्टी को भी पाकिस्तान जाना होगा। अजरबी का 45 वर्ष पूर्व जम्मू-कश्मीर के राजौरी निवासी मोहम्मद दीन से विवाह हुआ था। मेरे सभी दस्तावेज भारत के हैं। अब 45 वर्ष बाद उन्हें पाकिस्तान भेजा जा रहा है।

अटारी सीमा पर पहुंची अजरबी ने कहा कि वह पाकिस्तान जाकर क्या करेगी। मेरा सारा परिवार भारत में है। वहां तो उनका कोई रिश्तेदार भी नहीं बचा। उन्होंने सरकार से अपील की कि उन्हें भारत में ही रहने दिया जाए, पाकिस्तान में मेरा कोई नहीं है। किसके पास रहूंगी। परिवार के बिना नहीं रह पाउंगी।

उन्होंने कहा कि आतंकियों ने जो किया वह बहुत दुखदायी है। इनकी वजह से हमें अपना भारत छोड़ना पड़ रहा है। सरकार के आदेश के कारण पुलिस उन्हें अटारी सीमा पर लेकर आई और पाकिस्तान भेज दिया गया।

गर्भवती समरीन को भी वतन लौटाया

गर्भवती समरीन को भी वतन लौटाया गया। उसकी शादी भारतीय पति रिजवान से हुई थी। समरी गर्भवती है। शहबाज ने बताया कि आतंकियों ने बहुत गलत किया है। इससे आम जनता प्रभावित हुई। मेरी पत्नी गर्भवती है और पाकिस्तान भेजी गई। अब वह वापस कैसे आएगी, इस प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं है।

8 साल के बच्चे को छोड़ जाना पड़ा पाकिस्तान

दिल्ली में दस वर्ष से अपने पति शहबाज के साथ रह रही पाकिस्तानी महिला हेरम को भी देश छोड़ने को कहा गया। अटारी सीमा पर पहुंची रेशमा ने कहा कि पति और आठ वर्ष के बच्चे को छोड़कर जाना पड़ रहा है। कराची की रहने वाली रेशमा के अनुसार उन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था, पर इसके बाद कोरोना काल आ गया।

उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले के बाद बीते सोमवार को पुलिस घर आई थी और संदेश दिया कि उन्हें पाकिस्तान जाना होगा। पहलगाम में जो हुआ वह गलत था। आतंकियों की करतूत के कारण हमें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार सभी महिलाओं को वीजा जारी करें, ताकि वह भारत में ही रह सकें।

'हमें यहीं रहने दिया जाए'

जम्मू-कश्मीर से आई मुफसाला नामक महिला ने बताया कि वह पाकिस्तानी नागरिक है। तीन वर्ष पूर्व बारामूला में उनका विवाह मोहम्मद कासिम से हुआ था। दो छोटी बेटियां हैं। वे भारतीय नागरिक हैं। दुधमुंही बच्ची को साथ लेकर अटारी पहुंची हूं। मेरे दादा-दादी भी बारामूला के हैं। विभाजन के बाद दादा-दादी पाकिस्तान आ गए थे। मेरा जन्म पाकिस्तान में हुआ था। 2021 में मेरा विवाह हुआ।

यहां आने के सात वर्ष बाद भारतीय नागरिकता मिल सकती है। मेरे पास पाकिस्तानी पासपोर्ट है, इसलिए मुझे भेजा जा रहा है। मेरी सास परवीन को भी डिपोर्ट किया गया है। परवीन ने बताया कि मैं चालीस वर्ष से यहां रह रही हूं। मुझे भारतीय नागरिकता नहीं मिली। हम आतंकी हमले की निंद करते हैं। यह बहुत ही भयानक था। जो मारे गए वो निर्दोष और मासूम थे, हम भी बेकसूर हैं। हमें यहीं रहने दिया जाए।