प्रशासन ने साल 2030 तक शहर को मॉडल सोलर सिटी बनाने का लक्ष्य रखा है। प्रशासन ने अभी तक 90 किलो मेगावाट बिजली सूर्य ऊर्जा से पैदा करने का लक्ष्य पूरा किया है। इस साल के अंत तक 125 मेगावाट बिजली पैदा करने का नया लक्ष्य रखा है।

इस समय शहर की हर सरकारी इमारत की छत पर लगे प्लांट की मदद से बिजली पैदा हो रही है। शिक्षा विभाग सहित कई अहम सरकारी कार्यालयों ने अपना बिजली का बिल शून्य कर लिया है। वह बिजली ग्रिड को भी बेच रहे हैं।

सभी सरकारी कार्यालयों पर लग चुके हैं सोलर प्लांट

सभी सरकारी कार्यालयों पर शत प्रतिशत सोलर पावर प्लांट लग चुके हैं, जो करीब 36 मेगावाट बिजली पैदा कर रहे हैं। कुल 111 सरकारी स्कूलों में से 108 को सौर ऊर्जा के लिए उपयुक्त पाया और इन सभी में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं।

बता दें कि केंद्रीय शासित प्रदेशों की कैटेगरी में चंडीगढ़ को सौर ऊर्जा पैदा करने में पहला पुरस्कार मिल चुका है। इस समय निजी इमारतों पर सोलर पावर प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा है। प्रशासन का दावा है कि साल 2026 तक इस टारगेट को पूरा कर लिया जाएगा।

चंडीगढ़ रिन्यूएबल एनर्जी एंड साइंस एंड टेक्नोलाजी समिति (क्रेस्ट) के अनुसार अगर शहर की सभी निजी इमारतों पर सूर्योदय योजना के तहत प्लांट लग जाए तो 150 मेगावाट बिजली पैदा होना शुरू हो जाएगी।

  • मेगावाट 125 बिजली पैदा करने का नया लक्ष्य
  • 2030 का माइल सोलर सिटी बनाने का लक्ष्य
  • 108 स्कूलों को सौर ऊर्जा के लिए उपयुक्त पाया
  • सरकारी 6,627 साइटों पर सोलर पावर प्लांट लगाए

चंडीगढ़ साल 2030 से पहले ही खुद को एक मॉडल सोलर सिटी के रूप में स्थापित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे न केवल शहर की ऊर्जा आवश्यकताओं में आत्मनिर्भरता आएगी, बल्कि चंडीगढ़ देश में स्वच्छ और हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक मिसाल भी बनेगा। इस समय सौर ऊर्जा प्रणाली से अब तक 270.26 मिलियन यूनिट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन हुआ है, जिससे लगभग 1,86, 479 मीट्रिक टन कार्बनडाइआक्साइड उत्सर्जन में कमी आई है। जो शहर की पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

नवनीत श्रीवास्तव, सीईओ, क्रेस्ट।